google-site-verification=7QnRCk44Qzj52gtQiocrpPGVmXcxYaUrJ9y83tqajEo एक सच्ची कहानी शादी के 17 साल बाद, अपने पाँचवे प्रयास में पाई सफलता।

एक सच्ची कहानी शादी के 17 साल बाद, अपने पाँचवे प्रयास में पाई सफलता।

सीतामढ़ी की बेटी ज्योत्स्ना प्रिया: संघर्ष, लगन और सफलता की अनूठी कहानी



बिहार की धरती पर एक बार फिर से संघर्ष और दृढ़ता की मिसाल पेश की गई है। सीतामढ़ी की बहू और शिवहर जिले की बेटी ज्योत्स्ना प्रिया ने शादी के 17 साल बाद अपनी मेहनत और अटूट जिद से बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा में सफलता हासिल की। अपने पांचवें प्रयास में 262वीं रैंक प्राप्त कर उन्होंने राजस्व अधिकारी (Revenue Officer) के पद पर चयनित होकर जिले का मान बढ़ाया है।

ज्योत्स्ना प्रिया का जीवन संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक है। उनकी शादी 2007 में सीतामढ़ी के सहियारा गांव के प्रवीण सिंह से हुई, जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर और दवा व्यवसायी हैं। तीन बच्चों की मां ज्योत्स्ना ने घर-परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपनी पढ़ाई का सपना साकार किया। उनकी बड़ी बेटी 15 साल की है।

शुरुआती शिक्षा और संघर्ष का सफर
ज्योत्स्ना ने 2003 में शिवहर के सोनौल सुल्तान उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की, लेकिन शादी के बाद पढ़ाई का सिलसिला टूट गया। कई सालों तक परिवार और बच्चों की देखभाल में व्यस्त रहने के बावजूद उन्होंने 2018 में सीतामढ़ी से ग्रेजुएशन फाइनल की।

हालांकि, पढ़ाई को लेकर समाज से कई तरह के ताने सुनने पड़े। लोगों ने कहा कि वह "समय बर्बाद कर रही हैं," लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी। ज्योत्स्ना का मानना था कि "सफलता तब तक नहीं मिलेगी, जब तक उसे पाने की पूरी कोशिश न की जाए।"

असफलता के बावजूद जारी रखा प्रयास
ज्योत्स्ना ने पांच बार BPSC की प्रारंभिक परीक्षा दी। दो बार मुख्य परीक्षा लिखी, लेकिन असफलता का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। 2024 में उनके पांचवें प्रयास में सफलता मिली, और वह रेवेन्यू ऑफिसर बन गईं।

प्रेरणा और संदेश
ज्योत्स्ना प्रिया की यह सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि शादी या परिवार की जिम्मेदारियां जीवन के सपनों को रोक नहीं सकतीं। उनकी कहानी समाज में बदलाव और महिलाओं की शक्ति का जीता-जागता उदाहरण है।

ज्योत्स्ना का यह सफर न केवल संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह यह संदेश देता है कि अगर आप में जुनून और मेहनत करने का जज्बा हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। उनका कहना है, "सपने देखने की हिम्मत करो और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करो। सफलता निश्चित है।"

निष्कर्ष
सीतामढ़ी की धरती ने एक और प्रेरणादायक कहानी लिखी है। ज्योत्स्ना प्रिया की यह उपलब्धि उन सभी महिलाओं के लिए मिसाल है, जो समाज की सीमाओं को तोड़ते हुए अपनी पहचान बनाना चाहती हैं। उनका संघर्ष और सफलता यह साबित करता है कि सच्ची लगन और मेहनत से हर सपना साकार हो सकता है।

ये सच्ची कहानी आपको क्या शिक्षा देती है कमेंट करके हमें बताए।

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